सस्ते लोन और EMI कम होने के लिए करना होगा इंतजार, ब्याज दरों में नहीं कोई बदलाव

मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने नीतिगत रेपो रेट 5.5% पर ही बरकरार रखने का फैसला किया है। इस बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है. आरबीआई गवर्नर ने बताया कि खाद्य और ईंधन को छोड़कर अन्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी (कोर इन्फ्लेशन) 4% पर स्थिर है, जो उनकी उम्मीदों के अनुरूप है.

गवर्नर ने स्पष्ट किया कि पिछले समय में ब्याज दरों में की गई 1% की कमी का प्रभाव अभी पूरी तरह अर्थव्यवस्था पर नहीं दिखा है. इसका असर धीरे-धीरे सामने आ रहा है. उन्होंने इस साल मॉनसून अच्छा रहने की वजह से अर्थव्यवस्था में तेजी आने की उम्मीद है. कृषि उत्पादन बढ़ने से ग्रामीण मांग और खर्च में वृद्धि होगी. बता दें इस फैसले से होम लोन, कार लोन आदि की ईएमआई पर असर पड़ेगा.

 भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ मजबूत: RBI Governor ने एमपीसी बैठक के नतीजों का ऐलान करते हुए कहा कि त्योहारी सीजन इकोनॉमिक एक्टिविटीज के लिए खास होता है, लेकिन अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी है.  ग्लोबल ट्रेड हालातों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में आरबीआई ने इकोनॉमी ग्रोथ को लेकर उचित कदम उठाए हैं और ये मजबूत बनी हुई है. रिजर्व बैंक के फैसले से साफ है कि India-US के बीच टैरिफ को लेकर जब तक तस्वीर पूरी तरह से साफ नहीं हो जाती, केंद्रीय बैंक जल्दबाजी के मूड में नहीं है.

Repo Rate का लोन पर असर: यहां ये जान लेना जरूरी है कि आखिर ये रेपो रेट होता क्या है और कैसे ये सीधे आपके लोन की ईएमआई को प्रभावित करता है. तो बता दें कि Repo Rate वह ब्याज दर है, जिस पर RBI देश के तमाम बैंकों को कर्ज देता है और इसमें उतार-चढ़ाव सीधे लोन लेने वाले ग्राहकों पर असर डालता है. क्योंकि जब रिजर्व बैंक इस रेपो रेट को घटाने का फैसला करता है यानी Repo Rate Cut करता है, तो बैंकों को सस्ता लोन मिलता है और वे Home Loan, Auto Loan और पर्सनल लोन लेने वाले ग्राहकों को भी ब्याज दरें कम करते हुए तोहफा देते हैं.

GDP और महंगाई का अनुमान: 90% विशेषज्ञों का मानना था कि RBI GDP ग्रोथ अनुमान (6.4–6.6%) में बदलाव नहीं करेगा महंगाई के पूर्वानुमान में 20–30 bps की कमी की जा सकती है।

क्या है रेपो रेट: ध्यान रहे कि रेपो रेट वह दर है, जिस पर रिजर्व बैंक द्वारा वाणिज्यिक बैंकों को ऋण दिया जाता है। अगर रिजर्व बैंक द्वारा सस्ती दरों पर कॉमर्शियल बैंकों को धन मुहैया कराया जाता है तो उसका सीधे असर आम आदमी पर भी पड़ता है, क्योंकि आरबीआई द्वारा दरों में कमी किए जाने के बाद बैंक भी अपनी ब्याज दरों में गिरावट करते हैं।

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