विघ्नहर्ता गणेश सभी विघ्न-बाधाओं को दूर करने वाले देवता हैं. चतुर्थी तिथि के दिन गणपति बप्पा की पूजा करना, व्रत रखना जीवन की तमाम परेशानियों से निजात दिला सकता है. हर महीने में 2 बार चतुर्थी तिथि आती है. ज्येष्ठ माह शुरू हो गया है. ज्येष्ठ महीने की पहली चतुर्थी एकदंत संकष्टी चतुर्थी कहलाती है.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी की तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 16 मई शुक्रवार को सुबह 04:03 बजे शुरू होकर अगले दिन 17 मई शनिवार को सुबह 05:13 बजे समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत 16 मई को रखा जाएगा. वहीं ज्येष्ठ महीने की संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय का समय रात 10:39 बजे है.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
एकदंत संकष्टी चतुर्थी की सुबह जल्दी उठें और स्नान कर लें. फिर भगवान गणेश के सामने हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पूजा स्थल की सफाई करें. चौकी पर भगवान गणेश की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. भगवान गणेश का गंगाजल या शुद्ध जल से अभिषेक करें. उन्हें पीले या लाल वस्त्र पहनाएं. चंदन, हल्दी, कुमकुम से तिलक करें. गणपति बप्पा को दूर्वा घास और लाल-पीले फूल अर्पित करें. उन्हें मोदक, लड्डू, फलों का भोग लगाएं. धूप-दीव करें. आखिर में गणेश जी की आरती करें. रात को चंद्रोदय होने के बाद चंद्र दर्शन करें और फिर व्रत का पारण करें. चतुर्थी व्रत का पारण सात्विक भोजन करके ही करें. इस दिन दान भी करें.
गणेश स्तोत्र का पाठ
बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा करने के दौरान अगर गणेश स्तोत्र का पाठ करना जीवन में मंगल ही मंगल लाता है-
“शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् ।”
“येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥”
“चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।”
“विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥”
“तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः ।
” “साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥”
“चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।”
“सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥”
“अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।”
“तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥”
“इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः ।”
“एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम् ॥”
“तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।”
“क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः ॥”
भगवान गणेश के मंत्र
चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के मंत्रों – ‘ॐ गं गणपतये नमः’ या ‘ॐ वक्रतुण्डाय नम:’ का जाप करें.