रक्षाबंधन कल, इस शुभ मुहूर्त में बांधें राखी; जानें क्यों दाहिने हाथ में ही बांधी जाती है राखी

रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है जिसे पूरे भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. यह त्योहार भाई और बहन के प्रेम और सम्मान का प्रतीक है. रक्षाबंधन को सबसे खास इसलिए माना जाता है क्योंकि इसमें भाई-बहन के रिश्तों की मिठास झलकती है.

इस बार रक्षाबधंन का त्योहार 9 अगस्त यानी कल मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हर साल रक्षाबधंन का पर्व मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर एक खास राखी बांधती हैं, जो सुरक्षा का प्रतीक होती है. राखी बांधने के बाद बहनें भाई की लंबी उम्र और खुशहाली की प्रार्थना करती हैं. बदले में भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं.

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार सावन पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है. साल 2025 में रक्षाबंधन 9 अगस्त, 2025 को यानी कल मनाया जाएगा. इस दिन राखी बांधाने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 05:47 बजे से लेकर दोपहर 01:24 तक रहेगा. राखी बांधने के लिए 7 घंटे और 37 मिनट का समय मिलेगा. इस दिन भद्रा नहीं लगेगा. इस दिन श्रवण नक्षत्र रहेगा और सौभाग्य योग बनेगा.

रक्षाबंधन 2025 शुभ योग 

इस बार रक्षाबंधन पर राखी बांधने के लिए ब्रह्म मुहूर्त मिलेगा जो सुबह 4 बजकर 22 मिनट से लेकर सुबह 5 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त मिलेगा जो दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से लेकर 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा. सौभाग्य मुहूर्त भी मिलेगा जो सुबह 4 बजकर 08 मिनट से लेकर 10 अगस्त को तड़के 2 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगा और इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग 9 अगस्त की सुबह 5 बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 23 मिनट तक रहेगा.

कर्म का प्रतीक दाहिना हाथ

हिंदू धर्म में दाहिना हाथ यानी सीधा हाथ अति शुभ और पवित्र काम को करने लिए उत्तम माना गया है. सीधे हाथ को शुभ और सकारात्मकता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. जब भी कोई शुभ कार्य का संधान किया जाता है जैसे पूजा-पाठ करना, दान-पुण्य और हवन करना या किसी काम को शुरू करना आदि जैसे काम दाएं हाथ से ही किया जाता है. यही कारण है कि राखी जैसे अनुष्ठान के लिए दाईं कलाई को चुना जाता है. पवित्र और शुभ बंधन को दाई कलाई में बाधकर सकारात्मकता और शुभता का जीवन में प्रवेश करवाया जाता है. शास्त्रों की मानें तो दाहिना हाथ “कर्म” के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. संकल्प, रक्षा सूत्र या यज्ञ जैसे अनुष्ठान सीधे हाथ से इस सोच के साथ किया जाता है कि इसका फल अधिक शुभकारी होगा. जब बहन भाई को राखी बांधती है तो यह केवल एक राखी नहीं होती बल्कि रक्षा संकल्प होता है जिसे दाएं हाथ में बांधने से इसका प्रभाव बढ़ जाता है.

रक्षाबंधन 2025 पूजन विधि 

रक्षाबंधन के दिन सबसे पहले घर की साफ-सफाई करनी चाहिए. इसके बाद पूजा की थाली तैयार करें, जिसमें राखी, रोली, चावल, दीपक, अगरबत्ती, मिठाई और पूजा की सामग्री हो. पूजा की शुरुआत मिट्टी या चांदी के कलश में थोड़ा सा जल डालकर करें. फिर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी का आवाहन करते हुए दीपक जलाएं और उनकी पूजा करें. इसके बाद भाई की कलाई पर राखी बांधने की विधि शुरू होती है. बहन पहले भाई के माथे पर तिलक लगाती है, फिर थाली से रोली के साथ चावल लगाती है.

उसके बाद राखी बांधती है और भाई को मिठाई खिलाती है. पूजा के बाद बहन भाई की लंबी उम्र और खुशहाली की दुआ मांगती है, जबकि भाई बहन को रक्षा का वचन देता है. इस दिन भाई-बहन के बीच प्यार और सहयोग का भाव और मजबूत हो जाता है.

रक्षाबंधन 2025 उपाय 

रक्षाबंधन के दिन सफेद शंख घर में ले आएं, इसे पूजा स्थान पर स्थापित कर दें. फिर, नियमित रूप से इसे घर में बजाएं, आपके घर में धन संपत्ति का अभाव नहीं होगा.

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