केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने एचएमपीवी वायरस को लेकर कहा है कि घबराने की बात नहीं है और हम इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि ये कोई नया वायरस नहीं है और इसकी पहचान सबसे पहले 2001 में की गई थी. उन्होंने कहा कि हम तैयार हैं और सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. चीन में पाए गए इस वायरस की पहचान भारत में भी की गई है, जहां कर्नाटक, कोलकाता और गुजरात में इससे संक्रमित मरीज पाए गए हैं.
स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने एक्सपर्ट के हवाले से स्पष्ट किया कि HMPV कई सालों से पूरी दुनिया में फैल रहा है. HMPV सांस के जरिए, हवा के जरिए फैलता है. यह सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित कर सकता है. यह वायरस सर्दियों और मौसम बदलने के शुरुआती महीनों में ज्यादा फैलता है. चीन में HMPV के मामलों की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय, ICMR और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र चीन के साथ-साथ पड़ोसी देशों में स्थिति पर कड़ी नज़र रख रहे हैं.”
‘चिंता की कोई बात नहीं’, बोले स्वास्थ्य मंत्री नड्डा
स्वास्थ्य मंत्री ने एक बयान में कहा, “हालात की समीक्षा के लिए 4 जनवरी को स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक की अध्यक्षता में संयुक्त निगरानी समूह की बैठक हुई. देश की स्वास्थ्य सिस्टम और निगरानी नेटवर्क सतर्क हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि देश किसी भी उभरती स्वास्थ्य चुनौतियों का तुरंत जवाब देने के लिए तैयार है. चिंता करने की कोई बात नहीं है. हम स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं.”
एचएमपीवी वायरस पर क्या है एक्सपर्ट की राय?
एक मशहूर हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुणाल सरकार ने इस वायरस को लेकर चेतावनी दी है कि सरकार को इसे लेकर गंभीरता से कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, “सरकार को सावधानी बरतनी चाहिए और अपने नागरिकों को इस वायरस से बचाना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे वे देश की सीमाओं की सुरक्षा करते हैं.” डॉक्टर सरकार ने बताया, “एचएमपी वायरस एक आरएनए-स्ट्रैंडेड वायरस है, जो संक्रामक होने के बावजूद कोविड-19 जितना गंभीर नहीं है. इसके सामान्य लक्षणों में बुखार, खांसी और जुकाम शामिल हैं, जिसकी आरटी-पीसीआर टेस्ट के जरिए पहचान की जा सकती है.”
एचएमपीवी पर महाराष्ट्र सरकार की एडवाइजरी
देश के कुछ राज्यों में वायरस की पहचान किए जाने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने भी एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि एचएमपीवी एक सामान्य श्वसन वायरस है जो संक्रमण जैसे सामान्य सर्दी का कारण बनता है. इसे पहली बार 2001 में नीदरलैंड में पहचाना गया था. यह वायरस मौसमी होता है, आमतौर पर सर्दी और गर्मी के शुरुआती दिनों में ज्यादा प्रभावी होता है, और इसके लक्षण फ्लू और आरएसवी से मिलते-जुलते हैं. 03 जनवरी को, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ने बयान जारी कर चीन में एचएमपीवी वायरस की रिपोर्ट पर चिंता न करने की सलाह दी है. सावधानियों का पालन किया जा रहा है, और डर पैदा करने जरूरत नहीं है.
भारत में एचएमपीवी के चार मामलों की पहचान
1. बेंगलुरु में एचएमपीवी के दो मरीज पाए गए, जिसमें दोनों ही बच्चे हैं. तीन महीने के बच्चे को पहले ही छुट्टी दे दी गई है, जबकि आठ महीने के बच्चे में रविवार को वायरस की पहचान की गई, जिसका इलाज चल रहा है.
2. नवंबर महीने में कोलकाता में छह महीने के बच्चे में एचएमपीवी का मामला पाया गया था, जिससे संकेत मिलता है कि ये वायरस पिछले कुछ समय से फैल रहा है.
3. अहमदाबाद में, दो महीने के बच्चे में एचएमपीवी पाया गया, जिसका एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है. उसकी हालत स्थिर है. बच्चे का परिवार राजस्थान के डूंगरपुर का रहने वाला है, लेकिन अहमदाबाद इलाज के लिए पहुंचे हैं.
एचएमपीवी वायरस से बचने के लिए क्या करें, क्या न करें?
ये करें:
● खांसते या छींकते समय अपने मुंह और नाक को रूमाल या टिशू पेपर से ढकें.
● अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी या अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर से धोएं.
● यदि आपको बुखार, खांसी और छींक है तो सार्वजनिक स्थानों से दूर रहें.
● खूब पानी पिएं और पौष्टिक भोजन खाएं.
● संक्रमण को कम करने के लिए सभी क्षेत्रों में पर्याप्त वेंटिलेशन सुनिश्चित करें.
ये ना करें:
● हाथ मिलाने से बचें.
● टिशू पेपर और नैपकिन का पुनः उपयोग न करें.
● बीमार लोगों के साथ निकट संपर्क से बचें.
● अपनी आंखों, नाक और मुंह को बार-बार छूने से बचें.
● सार्वजनिक स्थान पर थूकने से बचें.
● डॉक्टर की सलाह के बिना दवा लेने से बचें.