कानपुर IIT स्कॉलर के यौन उत्पीड़न में फंसे एसीपी मोहम्मद मोहसिन खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से राहत मिली है. कोर्ट ने उनके सस्पेंशन पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने सरकार को 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं.
आरोपी मोहसिन खान ने अपने निलंबन को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. तर्क है- किसी महिला से एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशन रखना नौकरी की शर्तों का उल्लंघन नहीं है. मोहसिन खान की ओर से एडवोकेट एलपी मिश्रा ने पैरवी की. एडवोकेट एलपी मिश्रा ने कोर्ट में कहा- यूपी सरकारी सेवक आचरण नियमावली, 1956 के नियम 29(1) के तहत पहली शादी के रहते दूसरी शादी करना कदाचार माना जाता है.
हालांकि, कानूनी रूप से विवाहित रहते हुए किसी दूसरी महिला से संबंध बनाए रखना कदाचार नहीं माना जाता. इसलिए आरोपी ACP मोहसिन का सस्पेंशन सही नहीं है. अब मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.
मालूम हो कि ACP मोहसिन पर आईआईटी PHD स्कॉलर ने गंभीर आरोप लगाए हैं. IIT छात्रा ने मोहसिन के खिलाफ कानपुर के कल्याणपुर थाने में 12 दिसंबर, 2024 को शादी का झांसा देकर यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. पुलिस को दी शिकायत में उसने कहा था कि ACP मोहम्मद मोहसिन खान ने IIT से पीएचडी में दाखिला लिया था. इसके बाद छात्रा से उसकी मुलाकात हुई. उसने खुद को अविवाहित बताकर उसे अपने प्रेम जाल में फंसाया. इसके बाद शादी का झांसा देकर महीनों यौन उत्पीड़न किया. 2
9 अप्रैल को छात्रा ने एक और तहरीर दी थी IIT स्कॉलर ने 29 अप्रैल को भी ACP मोहसिन के खिलाफ एक और तहरीर दी थी. पुलिस को दी शिकायत में छात्रा ने कहा था- मोहसिन मेरा धर्मांतरण कराना चाहता था. मोहसिन, उसकी मां और पत्नी जबरन इस्लाम धर्म अपनाने और निकाह का दबाव डाल रही थीं. जब मैंने मना कर दिया, तब उसकी पत्नी मेरे खिलाफ कोर्ट चली गई.
इसके बाद ACP मोहसिन खान पर एक्शन लेते हुए सस्पेंशन कर दिया गया था.