संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा के मामले में योगी सरकार सख्त हो गई है. हिंसा में आरोपित दर्जनों लोगों के अब तक गिरफ्तार नहीं होने पर संभल की पुलिस ने उनके पोस्टर शहर में लगवाना शुरू कर दिया है. पूरे शहर में 74 लोगों के पोस्टर लगाए गए हैं. संभल में 24 नवंबर को मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क गई थी. इसमें पुलिस पर जबदरस्त पथराव और आगजनी हुई थी. गोली लगने से चार युवकों की मौत हो गई थी. हालांकि पुलिस ने गोली चलाने या उनकी गोली से युवकों की मौत की बात से इनकार किया था.
अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि सीसीटीवी फुटेज में कैद हिंसा की तस्वीरों से बने पोस्टरों को आरोपियों की पहचान करने में मदद के लिए विभिन्न स्थानों पर लगाया गया है. अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) श्रीश चंद्र ने संवाददाताओं को बताया कि सीसीटीवी में दिख रहे लोग सीधे तौर पर हिंसा में शामिल थे. उनकी पहचान की पुष्टि होनी बाकी है, इसलिए उन्हें पहचानने में जनता की मदद लेने के लिए पोस्टर लगाए गए हैं.
उन्होंने कहा कि इन 74 उपद्रवियों की पहचान करने के लिए विश्वसनीय सुबूत देने वाले मुखबिरों को नकद पुरस्कार दिया जाएगा. चंद्र ने कहा कि पोस्टर न केवल संभल के शहरी इलाकों में बल्कि विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर भी लगाए गए हैं ताकि लोगों तक अधिक से अधिक लोगों को पहुंचाया जा सके.
पुलिस के अनुसार संभल हिंसा मामले में 76 आरोपियों को पहले ही जेल भेजा जा चुका है. संभल शहर के कोट गर्वी इलाके में शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इसमें चार नागरिकों की मौत हो गई थी और सुरक्षाकर्मियों सहित कई अन्य घायल हो गए थे.
हिंसा के बाद सपा और कांग्रेस ने योगी सरकार पर जबरदस्त हमला शुरू कर दिया था. संसद में भी मामला उठा था. सपा ने मारे गए युवकों के परिजनों और घायलों को अपनी तरफ से मुआवजा भी दिया था.