सनातन धर्म में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है. यह दिन भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत करने और विधिपूर्वक पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है तथा घर-परिवार के कष्ट समाप्त होते हैं. फाल्गुन मास की द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए बेहद खास माना गया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत कब रखा जाएगा, शुभ मुहूर्त क्या है और इस दिन भगवान गणेश को किन चीजों का भोग लगाना शुभ रहेगा.
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. इस बार यह 16 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी. चतुर्थी तिथि की शुरुआत 15 फरवरी 2025 को रात 11 बजकर 52 मिनट से शुरू होगी, जबकि इस तिथि की समाप्ति 16 फरवरी को रात 02 बजकर 15 मिनट पर होगी.
मोदक का भोग
भगवान गणेश को मोदक अत्यंत प्रिय हैं। ऐसा माना जाता है कि मोदक का भोग लगाने से भगवान गणेश शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.
लड्डू का भोग
बूंदी के लड्डू गणपति बप्पा को अत्यंत प्रिय माने जाते हैं. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन बूंदी के लड्डू का भोग अर्पित करने से भगवान गणेश की कृपा बनी रहती है, जिससे घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है.
फल और श्रीफल (नारियल) का भोग
भगवान गणेश को नारियल, दूध, दही और ताजे फल अर्पित करना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि यदि चतुर्थी पूजन के बाद इन चीजों का भोग लगाया जाए, तो जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है.