केदारनाथ धाम के कपाट कल शुक्रवार 2 मई को खुलने जा रहे हैं. इससे पहले ही केदारनाथ में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर से भगवान शिव की मूर्ति गुरुवार को गौरीकुंड के रास्ते फूलों से सजी पालकी में सवार होकर पहुंची..
घर में ही शिवलिंग स्थापित कर पूजा-अर्चना करें: इस वर्ष जो लोग केदारनाथ धाम बाबा के दर्शन करने नहीं जा रहे हैं, वो घर में ही शिवलिंग स्थापित कर पूजा-अर्चना करें.हालांकि घर में शिवलिंग स्थापित करते समय वास्तु के कुछ खास नियमों का पालन करना पड़ता है. यदि नियमों का सही पालन नहीं किया गया तो पूजा का पूरा फल प्राप्त नहीं होता. इसलिए शिवलिंग स्थापना से पहले जरूरी नियमों को जानना और उनका पालन करना बहुत जरूरी है.
शिवलिंग को सही दिशा में ही स्थापित करें: शिवलिंग को सही दिशा में स्थापित करने से ही मनोवांछित फल प्राप्त होता है और भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती है. सही दिशा का रखें विशेष ध्यान घर में शिवलिंग स्थापित करते समय जलधारी उत्तर दिशा की ओर रखें. जल अर्पित करते समय साधक का मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए.
शिवलिंग स्थापना के ये हैं नियम
-घर में अंगूठे के आकार का छोटा शिवलिंग ही स्थापित करना चाहिए. दूसरा, एक से अधिक शिवलिंग घर में नहीं रखने चाहिए. वरना पूजा का प्रभाव कम हो सकता है. शिवलिंग का आकार कैसा हो?
-भगवान शिव को जल अर्पित करने के लिए तांबे या पीतल के लोटे का ही उपयोग करें. स्टील के लोटे से जल चढ़ाना अशुभ माना जाता है, इसलिए इससे बचना चाहिए. जल अर्पण करते समय इन बातों का रखें ध्यान
-अगर आप घर में शिवलिंग स्थापित कर रहे हैं तो ध्यान रहे कि शिवलिंग पर कभी भी तुलसी, लाल रंगोली, सिंदूर और केतकी के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए.
केदारनाथ पहुंचने पर हल्की बर्फबारी और बारिश से श्रद्धालुओं का स्वागत हुआ महाकुंभ में प्रसिद्धि पाने वाली साध्वी हर्षा रिछारिया ने कहा कि बर्फबारी आने वाले अच्छे दिनों का संकेत है. उन्होंने कहा, “मैंने उत्तराखंड के बुजुर्गों से सुना है कि केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के समय अगर बर्फबारी होती है तो इसे शुभ माना जाता है. ये एक अच्छा संकेत है. अच्छे दिन आने वाले हैं.
हिमालय के इस मंदिर को देश-विदेश से लाए गए 108 क्विंटल फूलों से सजाया गया है. जर्मनी से आईं एक श्रद्धालु ने केदारनाथ को स्वर्ग के बेहद करीब बताया. मेखला ने कहा कि ये बहुत ही एनर्जेटिक प्लेस है. ये बहुत ही अद्भुत जगह है। स्वर्ग के करीब है। शुक्रवार को सुबह सात बजे मंदिर के द्वार खोले जाएंगे.