नेपाल में राजशाही की मांग को लेकर शुक्रवार को हिंसक प्रदर्शन हुआ. प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू के तिनकुने में एक इमारत में तोड़फोड़ की और उसे आग के हवाले कर दिया. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर भी फेंके, जिसके जवाब में सुरक्षाकर्मियों को आंसू गैस के गोले दागने पड़े. इस घटना में एक युवक की मौत भी हो गई. सरकार के खिलाफ बढ़ती नाराजगी और राजशाही समर्थकों के आक्रोश को देखते हुए नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता गहराती जा रही है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या नेपाल भी बांग्लादेश की तरह किसी बड़े राजनीतिक संकट की ओर बढ़ रहा है?
टिंकुने इलाके में जुटे प्रदर्शनकारियों ने पहले शांतिपूर्ण मार्च निकाला, लेकिन जैसे ही उन्होंने पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की, हालात बेकाबू हो गए. प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी शुरू कर दी, जिसके जवाब में पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया. इस दौरान कई लोग घायल हो गए. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार जानबूझकर उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है.
प्रशासन ने काठमांडू में कर्फ्यू लागू कर दिया है. इस आंदोलन में 40 से ज्यादा नेपाली संगठन शामिल हुए. प्रदर्शनकारी राजा आओ देश बचाओ, भ्रष्ट सरकार मुर्दाबाद और हमें राजशाही वापस चाहिए, जैसे नारे लगा रहे थे. उन्होंने सरकार को एक हफ्ते का अल्टीमेटम दिया है. उनका कहना है कि अगर उनकी मांगों पर एक्शन नहीं लिया गया तो और ज्यादा उग्र विरोध प्रदर्शन होगा. नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र ने 19 फरवरी को प्रजातंत्र दिवस के अवसर पर लोगों से समर्थन मांगा था. इसके बाद से ही देश में ‘राजा लाओ, देश बचाओ’ आंदोलन को लेकर तैयारियां चल रही थीं.
कौन कर रहा है नेतृत्व? इस प्रदर्शन का नेतृत्व नवराज सुवेदी के नेतृत्व वाले संयुक्त आंदोलन समिति ने किया था, जिसमें विवादित कारोबारी दुर्गा प्रसाई के समर्थक भी शामिल थे. इसके अलावा, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (राष्ट्रवादी राजशाही समर्थक दल) के प्रमुख राजेंद्र लिंगदेन ने भी इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया. इन समूहों का दावा है कि नेपाल में संवैधानिक राजशाही और हिंदू राष्ट्र की बहाली ही देश की समस्याओं का समाधान है.
क्यों बढ़ रही है राजशाही की मांग? नेपाल 2008 तक एक संवैधानिक राजशाही हुआ करता था, लेकिन माओवादी आंदोलन और लोकतांत्रिक बदलावों के चलते इसे एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य घोषित कर दिया गया. हालांकि, बीते कुछ सालों में कई समूह नेपाल में फिर से राजशाही और हिंदू राष्ट्र की बहाली की मांग कर रहे हैं. बढ़ती महंगाई, भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता के चलते जनता का एक वर्ग मौजूदा व्यवस्था से असंतुष्ट नजर आ रहा है.
क्या तख्तापलट हो सकता है? नेपाल में जारी विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए कई विशेषज्ञ इसे बांग्लादेश में हुए राजनीतिक संकट से जोड़कर देख रहे हैं. हाल ही में बांग्लादेश में भी सरकार के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसमें कई लोगों की जान गई थी. हालांकि, नेपाल की स्थिति फिलहाल उतनी गंभीर नहीं है, लेकिन अगर हिंसा और असंतोष बढ़ता है, तो देश में राजनीतिक अस्थिरता और गहरा सकती है.
सरकार ने क्या कहा? नेपाल सरकार ने इन प्रदर्शनों को असंवैधानिक करार देते हुए सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है. पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है और हिंसा फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है. वहीं, प्रदर्शनकारी सरकार पर दमनकारी नीतियां अपनाने का आरोप लगा रहे हैं. आने वाले दिनों में नेपाल की राजनीति किस दिशा में जाती है, यह देखना दिलचस्प होगा.