कर्नल सोफिया कुरेशी पर विवादित बयान देने वाले भाजपा मंत्री विजय शाह पर HC का FIR दर्ज करने का आदेश

बीजेपी के मंत्री विजय शाह की जुबान ने उनकी छवि और सोच को देश की अवाम के सामने प्रस्तुत कर दिया है, उनके इस बयान पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जब कर लताड़ते हुए DGP को FIR दर्ज करने का आदेश दे दिया है. कर्नल सोफिया कुरेशी पर बयान को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान में लिया है, हाई कोर्ट ने इस बयान की की आलोचना करते हुए कहा गया कि यह गटर की भाषा है.

जस्टिस अतुल श्रीधरन और अनुराधा शुक्ला की बेंच ने DGP को आदेश दिया कि भाजपा मंत्री के खिलाफ चार घंटे के भीतर FIR दर्ज की जाए, अन्यथा उन्हें कोर्ट की अवमानना का सामना करना पड़ेगा.

ऑपरेशन सिन्दूर के चलते ऑपरेशन की प्रेस ब्रीफिंग और अपडेट देने के लिए भारतीय सेनाओ और विदेश मंत्रालय से   कर्नल कुरेशी के साथ विंग कमांडर व्योमिका सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रत्निध्तव किया था

भारतीय सेना के इस फैसले से देश में सकारात्मक लहर आ गयी है, देश की तमाम बेटियों को अपने लिए नए आइडल मिल गये.

जस्टिस श्रीधरन ने कहा कि मंत्री ने “नालियों” जैसी गन्दी भाषा का इस्तेमाल किया. कोर्ट ने कहा की ” बीजेपी मंत्री विजय शाह ने कर्नल कुरेशी के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से घिनौनी टिप्पणी की, जो स्पष्ट रूप से उन्हीं की ओर इशारा करती है क्योंकि ऐसा कोई और नहीं है जो उस विवरण में फिट बैठता हो, कोर्ट ने कहा की “टिप्पणियां कैंसर जैसी और खतरनाक हैं क्योंकि अब वे देश की सशस्त्र सेनाओं तक पहुंचने लगी हैं,” “उनकी टिप्पणियां न केवल संबंधित अधिकारी के लिए बल्कि सशस्त्र बलों के लिए भी अपमानजनक और खतरनाक हैं.”

हाईकोर्ट ने BNS(भारतीय न्याय संहिता) की धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य) के तहत FIR दर्ज करने का आदेश दिया. कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि मंत्री का बयान, जिसमें उन्होंने कर्नल कुरेशी को पहलगाम हमले के “आतंकवादियों की बहन” कहा, “अलगाववादी भावना को बढ़ावा देता है और यह दर्शाता है कि कोई भी मुस्लिम होते हुए अलगाववादी हो सकता है, जिससे भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरा पैदा होता है.”

कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि धारा 196 1 (बी) भी लागू की जाए, यह कहते हुए कि एक फौजी कर्नल को “आतंकवादियों की बहन” कहकर अपमानित करना धार्मिक सद्भाव बनाए रखने के लिए हानिकारक हो सकता है, क्योंकि इससे यह धारणा बन सकती है कि भारत के प्रति निस्वार्थ सेवा देने के बावजूद किसी व्यक्ति को सिर्फ मुस्लिम होने के कारण अपमानित किया जा सकता है.

कोर्ट ने धारा 197— जो राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक वक्तव्यों को दंडनीय अपराध मानती है — लागू करने का भी आदेश दिया.

आगे इस मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.

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