UP के बाल विकास सेवा एवं पुष्टहार विभाग एक बार फिर भ्रष्टाचार को लेकर चर्चाओं में है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा पंजीरी सिंडीकेट खत्म किए जाने के बाद विभाग अब अपने अधिकारियों की कारस्तानी को लेकर चर्चाओं में है. विभाग की राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने खुद निदेशक आईसीडीएस को पत्र लिखकर भ्रष्टाचार को उजागार किया है. इस पत्र को लेकर हड़कंप मचा हुआ है, माना जा रहा है कि जल्द ही दोषियों पर कार्रवाई हो सकती है.
उन्होंने पत्र लिखकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्तियों में भ्रष्टाचार की बात कही है. विभागीय राज्य मंत्री के इस पत्र को उच्च स्तर पर गंभीरता से लिया गया है. बाल विकास सेवा एवं पुष्टहार विभाग अपने कारनामों को लेकर अक्सर चर्चाओं में रहा है. चाहे भर्तियां हो या फिर पात्रों को समय से लाभ देना इसकी शिकायतें लागातार उच्च स्तर पर मिलती रहती हैं. अब विभागीय राज्य मंत्री द्वारा पत्र लिखा जाना चर्चाओं में है। ऊंचाहार के विधायक मनोज पांडेय भी नियम-51 के तहत विधानसभा में भर्ती में गड़बड़ी का मुद्दा उठाकर इस पर चर्चा की मांग कर चुके हैं.
प्रदेश के सभी जिलों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के 52 हजार से अधिक पद खाली हैं. पिछले साल से इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई है. तमाम जिलों में भर्ती में अनियमितता की शिकायतें हैं और हाईकोर्ट में याचिका के चलते भर्ती की प्रक्रिया अभी तक पूरा नहीं हो पाई है. भर्ती के लिए मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटियां बनाई गई हैं, लेकिन विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारियों (डीपीओ) की भर्ती में बड़ी भूमिका है. बताया जा रहा है कि यह भर्ती शुरुआती दौर से विवादों में घिरी है. इसीलिए कई बार भर्ती मानकों को बदला जा चुका है.