मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए राहत एवं बचाव कार्यों के लिए अपने मंत्रियों की एक विशेष ‘टीम-11’ का गठन किया है। यह टीम बाढ़ प्रभावित 12 जनपदों में राहत कार्यों की निगरानी करेगी और देखेगी कि कोई भी पीड़ित सहायता से वंचित न रह जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समय संवेदनशीलता, तत्परता और पारदर्शिता के साथ कार्य करने का है। राज्य सरकार हर नागरिक की सुरक्षा, भोजन, आवास और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी पूरी प्रतिबद्धता से निभाएगी। उन्होंने दो टूक कहा कि राहत कार्यों में किसी भी स्तर पर लापरवाही या शिथिलता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने शनिवार को आपदा प्रबंधन की तैयारियों की समीक्षा करते हुए निर्देश दिया कि सभी प्रभारी मंत्री तत्काल अपने-अपने जिलों का दौरा करें, राहत शिविरों का निरीक्षण करें और प्रभावित परिवारों से सीधे संवाद स्थापित कर जमीनी स्थिति की समीक्षा करें। जिलों के डीएम, एसपी, सीएमओ सहित समस्त वरिष्ठ अधिकारी फील्ड में रहें और 24×7 निगरानी व्यवस्था सक्रिय रखें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राहत सामग्री और भोजन पैकेट की आपूर्ति समयबद्ध और गुणवत्तायुक्त होनी चाहिए। फसलें बर्बाद होने, नदी के कटाव से भूमि का नुकसान होने व गृहस्थी का सामान होने से प्रभावित लोगों को 24 घंटे के भीतर सहायता राशि प्रदान की जाए। सहायता स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सहभागिता के माध्यम से ही वितरित की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा राहत आयुक्त द्वारा जारी अर्ली वार्निंग अलर्ट को संबंधित जनपदों की आम जनता तक तत्काल पहुंचाया जाए। आपदा प्रबंधन के प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन किया जाए। शहरी क्षेत्रों में बाढ़ की आशंका को देखते हुए नालों की सफाई और पंपिंग स्टेशनों को क्रियाशील रखा जाए।
फसलों का त्वरित सर्वेक्षण कराया जाए: मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि किसानों की फसलों का त्वरित सर्वेक्षण कराया जाए और राजस्व एवं पंचायतीराज विभाग के माध्यम से सहायता वितरण की प्रक्रिया को तेज व पारदर्शी बनाया जाए। साथ ही, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ एवं पीएसी की फ्लड यूनिट्स की तैनाती के माध्यम से राहत कार्यों को प्रभावशाली रूप से संचालित किया जाए। किसी भी प्रकार की अफवाह या भ्रामक सूचना पर त्वरित सख्त कार्रवाई की जाए। सभी अधिकारियों एवं कर्मियों का व्यवहार शालीन, संवेदनशील हो। मुख्यमंत्री ने सभी 12 बाढ़ प्रभावित जिलों की उच्चस्तरीय निगरानी की जाए और मुख्यमंत्री कार्यालय को नियमित रूप से अद्यतन जानकारी भेजी जाए। उन्होंने कहा कि यह संकट की घड़ी पूरे सरकारी तंत्र की एकजुटता और तत्परता की परीक्षा है।
नंदी तीन जिलों के प्रभारी मंत्री बने: प्रयागराज, मीरजापुर, बांदा- नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’, जालौन- स्वतन्त्र देव सिंह एवं संजय गंगवार, औरैया- स्वतन्त्र देव सिंह एवं प्रतिभा शुक्ला, हमीरपुर- रामकेश निषाद, आगरा- जयवीर सिंह, वाराणसी- सुरेश खन्ना, कानपुर देहात- संजय निषाद, बलिया- दया शंकर मिश्रा ‘दयालु’, इटावा- धर्मवीर प्रजापति और फतेहपुर- अजीत पाल।
यमुना की बाढ़ से बांदा-हमीरपुर और राजापुर-चित्रकूट मार्ग भी बंद बुंदेलखंड के जिलों में यमुना का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। बाढ़ का पानी सड़कों पर चढ़ गया है। इस वजह से बांदा में पपरेंदा से हमीरपुर जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया गया है। इसी तरह राजापुर होते हुए चित्रकूट जाने वाला मार्ग पर यातायात पर रोक लगा दी गई है। लोग कानपुर जाने के लिए बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे, बेंदाघाट और औगासी पुल मार्ग का उपयोग कर रहे हैं। वहीं बाढ़ की वजह से चिल्ला होते हुए बांदा-कानपुर मार्ग को एक दिन पहले शुक्रवार को ही बंद कर दिया गया था।
उधर, चित्रकूट में सरधुवा की दलित बस्ती में यमुना का पानी घुसने की वजह से 35 से अधिक परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। इसके अलावा हमीरपुर के मुस्करा में हो रही लगातार बारिश की वजह से एक दो मंजिला मकान गिर गया है। हादसे में एक की मौत हो गई, जबकि उसकी बच्ची बाल-बाल बच गई। हमीरपुर में बेतवा नदी की बाढ़ में रमेड़ी डिग्गी मोहल्ले का एक युवक शुक्रवार शाम को लापता हो गया। कुछ देर बाद घर के पास ही उसका शव उतराता हुआ मिला। हालांकि जालौन में यमुना का जलस्तर दोपहर 12:00 बजे से घटना शुरू हो गया। यही हाल कानपुर देहात में भी रहा।