गुजरात के वडोदरा स्थित मुजपुर-गंभीरा पुल पर हुए भयावह हादसे को 25 दिन बीत चुके हैं. इसमें 21 लोगों की जान गई थी. चौंकाने वाली बात है कि तब से भारी टैंकर वाला ट्रक पुल के टूटे हुए हिस्से पर लटका हुआ है. इतने दिनों बाद भी उसे हटाया नहीं जा सका है. अब सरकार इस टैंकर को हटाने के लिए एक बेहद अनोखी तकनीक का सहारा ले रही है. उसे बैलून तकनीक कहते हैं. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के निर्देश पर यह काम विशेषज्ञों की देखरेख में जल्द शुरू किया जाएगा. समझ लीजिए ये क्या है.
प्रोपेन गैस से भरे विशेष बैलून.. असल में इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हादसे के बाद पुल की संरचना बेहद कमजोर हो गई है. ऐसे में क्रेन या भारी मशीनों का इस्तेमाल खतरे से खाली नहीं है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एमएस यूनिवर्सिटी के मैकेनिकल विभाग के प्रोफेसर डॉ निकुल पटेल ने बताया कि इस स्थिति में प्रोपेन गैस से भरे विशेष बैलून की मदद ली जाएगी. इन बैलूनों की सहायता से टैंकर को धीरे-धीरे हवा में उठाया जाएगा फिर संतुलन के साथ नीचे उतारा जाएगा.
निगरानी ड्रोन कैमरों से की जाएगी: यह पूरी प्रक्रिया विज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित होगी. एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसमें आर्किमिडीज प्रिंसिपल और बायो-एंड फोर्स का प्रयोग किया जाएगा. साथ ही ऑपरेशन की लाइव निगरानी ड्रोन कैमरों से की जाएगी ताकि सुरक्षा में कोई चूक न हो. एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि यह तकनीक जटिल लेकिन बेहद सटीक है, और इससे पुल को कोई और नुकसान पहुंचाए बिना टैंकर को हटाया जा सकेगा.
इस टैंकर को हटाने की जिम्मेदारी पोरबंदर की ‘विश्वकर्मा ग्रुप’ को दी गई है जो भारत की एकमात्र मरीन इमरजेंसी रिस्पांस एजेंसी है. यह एजेंसी पहले भी कई जटिल ऑपरेशनों को अंजाम दे चुकी है और सरकार के मार्गदर्शन में इस बार भी काम करेगी.
उधर वडोदरा के जिला कलेक्टर प्रवीण चौधरी ने मीडिया को जानकारी दी कि अगले 4 से 5 दिनों में सर्वे और तकनीकी रीडिंग का काम पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद 7 दिनों के भीतर टैंकर को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. हादसे के बाद से जिस तरह से ट्रक लटका हुआ है उसने लोगों का ध्यान इस पर है. अब सबकी निगाहें इस गुब्बारे वाले जुगाड़ पर टिकी हैं.