नंदीग्राम में बनेगा अयोध्या जैसा भव्य राम मंदिर, शुभेंदु अधिकारी ने कर दिया शिलान्यास

पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम जिले में अयोध्या जैसे भव्य राम मंदिर के निर्माण का कार्य रामनवमी के मौके से ही शुरू हो गया है. विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने रविवार को रामनवमी के अवसर पर पूर्वी मेदिनीपुर जिले के नंदीग्राम में राम मंदिर की आधारशिला रखी. राम मंदिर की आधारशिला सोनाचूरा गांव में रखी गई, जहां छह जनवरी 2007 को स्थानीय प्रशासन के भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे कम से कम सात लोगों की उपद्रवियों द्वारा की गई गोलीबारी में मौत हो गई थी.

समर्थकों और भक्तों के ‘जय श्री राम’ के उद्घोष के बीच अधिकारी ने मंदिर की नींव रखी. इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता रामनवमी शोभायात्रा का नेतृत्व करते हुए सोनाचूरा स्थित शहीद मीनार से प्रस्तावित मंदिर स्थल पर पहुंचे. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस महीने के अंत में पूर्व मेदिनीपुर जिले के दीघा में जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन करेंगी.

1.5 एकड़ भूमि पर बनेगा राम मंदिर: शुभेंदु अधिकारी ने बताया था कि सोनाचूरा का राम मंदिर डेढ़ एकड़ जमीन पर बनेगा. वहीं इस मंदिर को अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज पर ही डिजाइन किया जाएगा. यह मंदिर पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा राम मंदिर होगा.

नंदीग्राम में 18 साल पहले क्या हुआ था: नंदीग्राम में 14 मार्च 2007 को भूमि अधिग्रहण का विरोध करने वाले कम से कम 14 पुलिस की गोली का शिकार हो गए थे. नंदीग्राम में ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी दोनों की ही अच्छी पकड़ मानी जाती है. 2007 से पहले नंदीग्राम बहुत ही शांत इलाका माना जाता था. यहां ज्यादातर लोग खेती करते थे. वहीं 2007 में यहां औद्योगिक हब बनाने की बबात होने लगी.

2006 में यहां विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की करारी हार हुई थी. राज्य में लेफ्ट की सरकार बनी। शुभेंदु अधिकारी उस समय टीएमसी में थे. उनके ही नेतृत्व में यहां भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमेटी बनाई गई. इसके बाद भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन शुरू हो गया. ममता बनर्जी ने यहां धरना शुरू किया और फिर फैक्ट्री का काम रुक गया. 2 जनवरी 2007 तो सीपीएम और टीएमसी के कार्यकर्ताओं में भिड़ंत हो गई. इसमें कम से कम 6 लोग मारे गए.

इसके बाद टीएमसी समर्थकों ने यहां नाकेबंदी कर दी और सरकारी अधिकारियों के प्रवेश पर रोक लगा दी. उस समय के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने नंदीग्राम से टीएमसी कार्यकर्ताओं को खदेड़ने के लिसए 2500 पुलिसकर्मियों को भेज दिया. इसके अलावा पुलिस के साथ 400 सीपीएम कार्यकर्ता भी थे. दोनों पक्ष आमने-सामने आए तो हिंसा होने लगी. पुलिस ने फायरिंग कर दी और 14 लोग मारे गए. इस हिंसा के बाद बंगाल की सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा और नंदीग्राम के प्रोजेक्ट रद्द करने पड़ गए.

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