उत्तर प्रदेश के विधायक अपने कामकाज में स्मार्टनेस लाने के लिए एआई सीखेंगे. ऐसा देश में पहली बार होगा. यूपी विधानसभा में 10 अगस्त को विधायकों की एआई पाठशाला लगेगी. आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ विधायकों की क्लास लेंगे. ये तकनीक लागू होने के बाद सदन की वीडियो रिकार्डिंग भी एआई आधारित सर्च से लिंक हो जाएगी. इसका सबसे बड़ा फायदा होगा कि कोई भी विधायक अपने भाषण या दस्तावेजों का अंश निकाल सकेगा. आगामी 11 अगस्त से शुरू होने वाले विधानमंडल के मानसून सत्र की तैयारियों का विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने मंगलवार को जायजा लिया.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करेंगे विधायक विधायक: अपने विधाई कार्य करने में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का इस्तेमाल करेंगे. इसके लिए उन्हें खास ट्रेनिंग देने का काम विधानमंडल सत्र से एक दिन पहले 10 अगस्त को होगा. विधानसभा मंडप में सभी विधायकों को इसके लिए बुलाया गया है. ये प्रशिक्षण पूरी तरह स्वैच्छिक रहेगा और किसी भी सदस्य के लिए जबरन नहीं होगा. इस एआई क्लास का मकसद है कि विधानसभा के सदस्य एआई टूल को आसानी से समझें और अपनी जिम्मेदारियों में उनका यूज आज के समय में कर सकें.
तकनीक तौर पर और स्मार्ट होगी विधानसभा: आईआईटी कानपुर के एक्सपर्ट्स उन्हें एआई टूल्स के जरिए बताएंगे कि कैसे वह विधायक के तौर पर अपने काम को और तेजी से कर सकेंगे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने बताया कि यह अपनी तरह की पहल है. यूपी विधानसभा अब खूबसूरत ही नहीं और तकनीक के तौर पर और स्मार्ट भी होने जा रही है. उन्होंने बताया कि विधानसभा का ऐप भी अब एआई आधारित हेागा.
कौन से कामों को सीखेंगे विधायक: किसी विधेयक के पास होने से पहले विधायक एआई के जरिए ये अनुमान लगाया जा सकता है कि इसका जनता पर, रोजगार पर व अर्थव्यवस्था क्या असर पड़ेगा.इस प्रशिक्षण पाठशाला में एआई उपकरण बिल ड्राफ्ट करने, कानूनी समस्याओं की पहचान करने और अन्य राज्यों या देशों के कानूनों की तुलना विधायक कर सकेंगें. एआई विधायकों की संपत्तियों या हितों से जुड़े संभावित टकरावों की जांच कर सकेगा. सोशल मीडिया, सर्वेक्षण और याचिकाओं के माध्यम से एआई नागरिकों की राय बताएगा. किसी भी प्रस्तावित कानून के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों का पूर्वानुमान भी विधायक लगा सकेंगे. एआई डैशबोर्ड के माध्यम से सरकारी परियोजनाओं में क्या हुआ और क्या प्रगति हुई और खर्च की विधायक रियल-टाइम मॉनिटरिंग कर सकेंगे. एआई पुराने दस्तावेजों, बहसों और रिपोर्टों को क्रमबद्ध कर खोज योग्य बनाएगा.