कानपुर में घाटमपुर के गढ़ाथा गांव में यमुना नदी का पानी घरों तक पहुंच गया है. बाढ़ की स्थिति के कारण लोग अपना सामान लेकर सुरक्षित स्थानों की ओर जा रहे हैं. डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने स्टीमर से बाढ़ प्रभावित गाँव गढ़ाथा का जायजा लिया. इस बाबत डीएम ने ग्रामीणों की समस्याओं को सुनकर अधिकारियों को निर्देश दिए. उन्होंने राहत कार्यों में तेज़ी लाएं जाने के भी निर्देश दिए.
इस बीच नाविकों ने नाव चलाने से इनकार कर दिया है. नाविकों का कहना है कि पिछली बार आई बाढ़ में उन्होंने पंद्रह दिनों तक नाव चलाई थी, लेकिन उन्हें कोई भुगतान नहीं मिला. उन्होंने कई बार तहसील के चक्कर लगाए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. इसलिए इस वर्ष वे नाव नहीं चला रहे हैं.
गढ़ाथा गांव के निवासी अंकित, राजबहादुर, ऊदल निषाद, कल्लू, राजपाल शोभे और नीलू उर्फ पप्पू ने बताया कि गांव फिर से यमुना के पानी से डूब गया है. गांव में ऊंचाई वाले स्थानों पर रहने वालों के आने-जाने का एकमात्र साधन नाव है. नाविकों का आरोप है कि बाढ़ के समय अधिकारी उन्हें भुगतान और मदद का आश्वासन देते हैं. लेकिन बाढ़ खत्म होने के बाद उन्हें कोई नहीं पूछता. पिछली बार लेखपाल ने उनके नाम और आधार नंबर लिए थे, लेकिन भुगतान नहीं हुआ.
कुछ नाविकों ने गांववासियों की मदद के लिए नाव चलाने की बात कही है जबकि कुछ का कहना है कि जब तक पिछली बार का भुगतान नहीं होगा, वे नाव नहीं चलाएंगे. घाटमपुर के एसडीएम अविचल प्रताप सिंह ने कहा कि वे नाविकों का भुगतान क्यों नहीं किया गया, इसकी जानकारी करेंगे. उन्होंने बताया कि वे स्वयं नाविकों से मिलकर इस आपदा में सहयोग करने को कहेंगे और उनका भुगतान कराएंगे.
जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह के यमुना तटवर्ती गांवों विशेष रूप से गढ़ाथा गांव के निरीक्षण के दौरान एडीएम,सीएमओ और ACP भी मौजूद रहे.