पीलीभीत में 5 इंसानों को खा जाने वाली बाघिन अब कानपुर जू में रहेगी. शनिवार देर रात करीब 11.30 बजे उसे लाया गया. यहां वह 14 दिनों तक बड़े पिंजरे में क्वारन्टीन रहेगी. इस दौरान चिड़ियाघर के पशु चिकित्सक उसकी निगरानी करेंगे. दिन ब दिन उसके व्यवहार में होने वाले परिवर्तन को नोट करेंगे.
डॉक्टर ने बताया कि बाघिन को शनिवार रात और रविवार सुबह खाने में मांस दिया गया मगर उसने नहीं खाया. बाघिन ने सिर्फ पानी पिया. वह तनाव में है, मगर स्वभाव अभी भी आक्रामक है. बाघिन के पिंजरे के पास से कोई भी गुजरता है तो वह दहाड़ मारते हुए झपटने की कोशिश कर रही है. बाघिन को गुरुवार की शाम पकड़ा गया था. बाघिन ने 14 और 17 जुलाई के बीच दो किसानों पर हमला कर उनकी जान ले ली थी. इससे पहले 14 मई से 9 जून के बीच तीन लोगों पर हमला कर उन्हें खा गई थी. इस घटना के बाद 10 गांवों में दहशत थी.
2 डॉक्टरों की टीम करेगी निगरानी: कानपुर चिड़ियाघर के पशु चिकित्सक डा. नासिर की निगरानी में बाघिन को पीलीभीत से कानपुर चिड़ियाघर लाया गया. उन्होंने बताया मैं और डॉ. नितेश कटियार बाघिन की देखरेख करेंगे. इसके अलावा उसके पास किसी को भी जाने की इजाजत नहीं है. बताया कि उसे पिंजरे में क्वारन्टीन रखा जाएगा.
बाघिन थोड़ी-थोड़ी देर में किसी को भी देखकर गुस्से में आ जाती है. तेज दहाड़ के साथ वह पिंजरे में झपट्टा मारने लगती है.
10 दिनों से बाघिन की तलाश में जुटे थे कर्मचारी: पीलीभीत जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर न्यूरिया इलाके में डांडिया गांव है. 10 दिनों से लोगों को गांव के आसपास और खेतों में बाघिन दिख रही थी. लोगों ने अंधेरा होने के बाद खेतों को जाना बंद कर दिया था. दिन में भी निकलते तो उनके हाथों में डंडा रहता था. बाघिन के हमलों के बाद ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया था जिसके बाद डीएम और वन विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर बाघिन को पकड़ने का आश्वासन दिया था.
वन विभाग की 20 से अधिक टीमें उसकी तलाश में जुटी थीं. वन विभाग की टीमें न्यूरिया के 10 गांवों में खोज अभियान चला रही थी. खोज में तीन थर्मल ड्रोन और एक सामान्य ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा था.