हरियाली अमावस्या आज: कई शुभ योग, महादेव के साथ पितरों को भी करें प्रसन्‍न

सावन का महीना हिंदू परंपरा में भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. इस महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना और भक्ति का विशेष महत्व होता है. सावन के मौसम में प्राकृतिक वातावरण एक अलग ही खूबसूरती से भर जाता है. इस समय मानसून अपने चरम पर होता है, चारों ओर हरियाली का समंदर सा नजारा दिखाई देता है. भारत में इस त्योहार को प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है.

सावन महीने में हरियाली अमावस्या का भी विशेष महत्व है, जिसे सावन अमावस्या भी कहा जाता है. यह दिन शिवभक्तों के लिए बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन स्नान करना, जरूरतमंदों को दान देना और वृक्षारोपण करना अत्यंत फलदायी होता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन की पूजा-पाठ और दान से पूर्वजों के शाप, कालसर्प दोष और शनि दोष से मुक्ति मिलती है. खासकर पीपल के पेड़ के नीचे दूध और पानी चढ़ाना एक पवित्र आयोजन है, जिससे देवताओं और पूर्वजों की कृपा प्राप्त होती है.

हरियाली अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि की शुरुआत 24 जुलाई यानी आज रात 2 बजकर 28 मिनट पर शुरू हो चुकी है और तिथि का समापन 25 जुलाई यानी कल रात 12 बजकर 40 मिनट पर होगा.

स्नान दान का शुभ मुहूर्त- अमावस्या पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है. जिसका समय सुबह 4 बजकर 15 मिनट से लेकर 4 बजकर 57 मिनट तक रहेगा.

हरियाली अमावस्या शुभ योग: हरियाली अमावस्या इस बार बहुत ही खास मानी जा रही क्योंकि आज गुरु पुष्य योग, सर्वार्थसिद्धि योग और अमृतसिद्धि योग का निर्माण होने जा रहा है.

हरियाली अमावस्या पूजन विधि: हरियाली अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान का विशेष महत्व माना जाता है. यह मान्यता है कि इस दिन स्नान करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और उसके जीवन में सुख-शांति आती है. यदि नदी तक जाना मुश्किल हो तो घर में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है. इसके बाद घर के मंदिर में दीप जलाना चाहिए और भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

हरियाली अमावस्या का महत्व: हरियाली अमावस्या का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना है. यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि हम प्रकृति के ऋणी हैं और हमें इसे सुरक्षित रखने के लिए पूरा प्रयास करना चाहिए. इस तरह सावन का महीना न केवल धार्मिक अवसर है बल्कि प्रकृति से जुड़ाव और उसकी रक्षा का संदेश भी देता है. इसलिए सावन में शिव की पूजा के साथ-साथ हमें पर्यावरण का भी सम्मान करना चाहिए.

इसके अलावा, इस दिन उत्तर भारत के विभिन्न मंदिरों में, विशेष रूप से मथुरा एवं वृंदावन में, हरियाली अमावस्या के अवसर पर विशेष दर्शन का आयोजन किया जाता है. भगवान कृष्ण के इन विशेष दर्शन का लाभ लेने के लिये, हजारों की संख्या में कृष्ण भक्त मथुरा में द्वारकाधीश मंदिर तथा वृंदावन में बांकेबिहारी मंदिर जाते हैं.

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