अखिलेश यादव VS ब्रजेश पाठक… कहां जाकर रुकेगी ये जुबानी जंग? डिप्टी सीएम ने DNA वाले बयान पर फिर सपा मुखिया को घेरा

UP के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच छिड़ा डीएनए विवाद लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. समाजवादी पार्टी के सोशल मीडिया एक्स हैंडल से हुई पोस्ट को लेकर रविवार को ब्रजेश पाठक और अखिलेश यादव ने एक-दूसरे को नसीहत दी थी. इस मामले में अखिलेश यादव, सपा के प्रदेश अध्यक्ष और सपा के मीडिया सेल को भी नोटिस भेजा गया है. वहीं सोमवार को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने एक लंबी पोस्ट लिखकर समाजवादी पार्टी की राजनीतिक सोच और कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं. इसमें ब्रजेश पाठक ने समाजवादी पार्टी पर जातिवाद, तुष्टीकरण और समाज को बांटने की राजनीति करने का आरोप लगाया है.

ब्रजेश पाठक ने लिखा-‘अखिलेश यादव जी, आप डीएनए के सवाल पर बहुत भड़के हुए हैं. मैने ये कह क्या दिया कि समाजवादी पार्टी के डीएनए में ख़राबी है, आप आपे से उसी तरह बाहर हो गए जैसे दस साल पहले यूपी की सत्ता से बाहर हो गए थे. आप इस बात को समझिए कि डीएनए में खराबी से हमारा मतलब किसी व्यक्ति विशेष से नहीं, बल्कि आपकी पार्टी की राजनीतिक सोच से है. डीएनए में खराबी का मतलब ये है कि आपकी पार्टी की राजनीति की बुनियाद ही जातिवाद और तुष्टीकरण पर टिकी रही है और आज भी टिकी हुई है. समाजवादी पार्टी ने कभी सबका साथ-सबका विकास की बात की ही नहीं. आपकी प्राथमिकता ही हमेशा वोटबैंक की राजनीति रही है, नीतियों और आदर्शों से आपका दूर दूर तक का लेना देना नहीं रहा है.’

डिप्टी सीएम ने आगे लिखा, ‘मैं आपकी पार्टी के डीएनए में खराबी के मसले को और खुलकर समझा देता हूं. दरअसल मुस्लिम तुष्टिकरण ही आपकी राजनीति का केन्द्रीय हिस्सा रहा है. आप किसी भी राजनीति विज्ञानी से बात कर लें. वो आपको समझा देगा कि आपकी पार्टी का जन्म ही मुस्लिम तुष्टीकरण के डीएनए के साथ हुआ है और आपकी पूरी की पूरी राजनीति की दाल-रोटी भी यही है. वो चाहे शिक्षा नीति हो, नियुक्तियाँ हों या कानून-व्यवस्था के सवाल, आपकी सरकारों ने बार-बार एक ही वर्ग विशेष को खुश करने के लिए बाकी समाज की अनदेखी की है. इससे समाज में विभाजन और अविश्वास की खाई और गहरी हुई है. आपने तो बतौर मुख्यमंत्री अपने सिगनेचर से आतंकियों से जुड़े 14 केस एक साथ वापिस लिए हैं ताकि आपकी पार्टी के मुस्लिम तुष्टीकरण वाले डीएनए को खाद पानी मिलता रहे. ऐसे में मैं अच्छी तरह समझा सकता हूं कि डीएनए पर सवाल उठाने से आप इतने तिलमिलाए क्यों हैं। आपको इतना दर्द क्यों हैं.’

पत्र में डिप्टी सीएम सपा पर आरोपों की बौछार करते हुए लिखा-‘आपकी पार्टी का डीएनए तो दलितों के भी खिलाफ रहा है. समाजवादी पार्टी के शासनकाल में बार-बार देखा गया कि दलितों के अधिकारों को कुचला गया, उन्हें राजनीतिक रूप से हाशिए पर रखा गया, और उनके साथ अन्याय की घटनाओं में वृद्धि हुई. यह सिर्फ प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि एक गहरी राजनीतिक मानसिकता को दर्शाता है.’

ब्रजेश पाठक ने सपा पर समाज को बांटने का आरोप लगाया. उन्होंने लिखा-‘अखिलेश जी, इसलिए जब हम कहते हैं कि समाजवादी पार्टी के डीएनए में ख़राबी है तो हमारा सीधा मतलब है कि यह पार्टी सत्ता के लिए समाज को बांटने में यक़ीन रखती है. जाति, धर्म और वर्ग को देख कर राजनीति करती है। इसलिए आप कुपित न होइए. हो सके तो खुद को और अपनी पार्टी की सोच को बदलने की कोशिश कीजिए. एक बात और, आपका और आपकी पार्टी का ट्विटर हैंडल जो भी चलाता है और जो भी आपको बड़े बड़े पैराग्राफ वाले बयान लिखकर भेजता है, वो तो इतना नादान है कि उसने आपके जरिए ये कुबूल करवा लिया कि जेपी, लोहिया और राजनारायण जैसे महान नेताओं के समाजवाद को गंदी, पतित और कलुषित गालियों में तब्दील कर देने वाले ये लोग आपके अपने ही हैं. आपने खुद लिखित रूप में ये कुबूल कर लिया है कि आप पार्टी स्तर पर उन लोगों को समझाएंगे। अब भी कोई शक, कोई संदेह बचा क्या कि आपकी पार्टी का डीएनए ही खराब है?’

अंत में दी ये नसीहत: डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अपनी पोस्ट के अंत में सपा मुखिया को नसीहत देते हुए लिखा-‘अखिलेश जी, अंत में यही कहूंगा कि अगर आप बदल सकते हैं तो खुद को बदलिए, अपनी पार्टी के डीएनए को बदलिए वरना आज से लेकर 2027 तक और उसके बाद भी आपको अपनी पार्टी का यही डीएनए परेशान करता रहेगा. अभी तो मैं कह रहा हूं, इसके बाद प्रदेश की एक एक गली से, एक एक मोहल्ले से, एक एक गांव, शहर, ज़िले और यहां तक कि एक एक आम व्यक्ति की जुबां से आपकी पार्टी के इस डीएनए का जिक्र फूटेगा. किस किस को गालियां देते फिरेंगे आप? सो अपना चेहरा साफ कीजिए, आईने से मत झगड़िए.’ उन्होंने गालिब के इस शेर अपनी बात पूरी की। लिखा-‘उम्र भर ग़ालिब यही भूल करता रहा, धूल चेहरे पे थी आइना साफ़ करता रहा.’

कल अखिलेश ने कही थी ये बात: कल समाजवादी पाटी प्रमुख अखिलेश यादव ने डीएनए के मुद्दे को यदुवंश के अपमान से जोड़ दिया था. उन्होंने सोशल मीडिया पर उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक को इंगित करते उन्हें नसीहत भी दी थी. अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा था- ‘हम यदुवंशी हैं और यदुवंश का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है अतः ऐसे में आपके द्वारा हमारे डीएनए पर किया गया प्रहार धार्मिक रूप से भी हमें आहत करता है. राजनीति करते-करते न नैतिकता भूलिए और न ही धर्म जैसी संवेदनशील भावना को जाने-अंजाने में ठेस पहुंचाइए.’अखिलेश ने लिखा था कि हमने टिप्पणी का संज्ञान लेते हुए, पार्टी स्तर पर उन लोगों को समझाने की बात कही है जो समाजवादियों के डीएनए पर दी गयी आपकी ‘अति अशोभनीय टिप्पणी’ से आहत होकर आपा खो बैठे. आशा है कि आप जिस तरह की बयानबाज़ी निंरतर करते आए हैं, उस पर भी विराम लगेगा. अब इस बात को यहीं ख़त्म समझा जाएगा और अब आप नकारात्मक राजनीति की संगत से यथोचित दूरी बनाकर विवेक और विचार को पुनः सही दिशा की ओर मोड़ेंगे.

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