उत्तराखंड के चार धामों में से अंतिम धाम बद्रीनाथ के कपाट 4 मई सुबह 6 बजे पूरे विधि विधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए. इसी के साथ अब चारों धाम श्रीगंगोत्री, श्रीयमुनोत्री धाम, केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम के कपाट खुल गए हैं. इससे पहले गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट खुल चुके हैं. अब बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो गया. चारों धामों के कपाट खुल गए और विधिवत चार धाम यात्रा शुरू हो गई है. बदरीनाथ मंदिर फूलों से सजा हुआ है. उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी भगवान केदार के दर्शन के लिए पहुंचे. धाम में सुरक्षा एकदम कड़ी है.
#WATCH | Chamoli, Uttarakhand | Jagadguru Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand Saraswati Maharaj at Shri Badrinath Dham.
The portals of the dham will open at 6.00 am. pic.twitter.com/Br2bKdcbwl
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 3, 2025
कपाट खुलने के साथ ही सीएम धामी ने मंदिर में पूजा अर्चना की. पीएम मोदी के नाम से पहली पूजा की. जगदगुरू स्वामी शंकराचार्य ने सभी के आने का आहवान किया है. उन्होंने कहा कि सभी को यहां पर दर्शन के लिए आना चाहिए. सीएम धामी ने भी सभी भक्तों से आहवान किया है कि चारों धामों में आइए और दर्शन कीजिए.
श्रद्धालुओं की भारी भीड़
सेना के बैंड की मधुर धुनों और श्रद्धालुओं के जय बद्री विशाल के उद्घोष के बीच बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले. पहले दिन भगवान बदरी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पहुंची. देश विदेश से लोग दर्शन के लिए पहुंचे हैं. बदरीनाथ मंदिर 25 क्विंवटल फूलों से सजा हुआ है. भक्तों पर हेलिकॉप्टर से फूलों की बारिश की गई. भक्तों में भारी उत्साह देखा जा रहा है. सुरक्षा के लिहाज से पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. 2 मई को भगवान केदारनाथ के कपाट खोले गए थे. छह महीने तक भक्त भगवान बदरी के दर्शन कर सकेंगे.
भगवान विष्णु का निवास स्थान
यहां भगवान नारायण 6 महीने निद्रा में रहते हैं और 6 महीने के बाद जागते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. यहां भगवान विष्णु की शालीग्राम से बनी चतुर्भुज स्वरूप की पूजा होती है. बद्रीनाथ धाम को भगवान विष्णु का निवास स्थान माना गया है और यह अलकनंदा नदी के बाएं तट पर नर और नारायण नामक दो पर्वतों के बीच में स्थित है. केदारनाथ धाम को भगवान शिव का आराम करने का स्थल माना गया है, उसी तरह बद्रीनाथ धाम को पृथ्वी का बैकुंठ धाम भी कहा जाता है.