उत्तराखंड के पहाड़ों पर स्थित केदारनाथ धाम के कपाट आज 2 मई की सुबह 7 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए. हर साल सर्दियों में बर्फबारी के चलते केदारनाथ मंदिर बंद कर दिया जाता है, और जब गर्मियां दस्तक देती है, तो मंदिर दोबारा भक्तों के लिए खोल दिया जाता है.
#WATCH उत्तराखंड: श्री केदारनाथ धाम के कपाट आज श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए।
इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे। pic.twitter.com/YESRNIgy43
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 2, 2025
2 मई को जब चार धामों में से एक ‘केदारनाथ धाम’ के कपाट खुले, तो बाहर भारी भीड़ पहले से ही भोलेनाथ के दर्शन के लिए लगी हुई थी. मंत्रोच्चारण के साथ कपाट खुलते ही भोलनाथ के जयकारे से धाम गूंज उठी. इस शुभ अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी श्री केदारनाथ धाम परिसर पहुंचे हुए थे.
108 क्विंटल फूलों से सजाया गया: इस शुभ अवसर पर केदारनाथ मंदिर को 108 क्विंटल फूलों से सजाया गया था. यह फूल गुजरता और ऋषिकेश से मंगाई गई थी. कपाट खुलने से पहले बाबा केदार की पवित्र डोली ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ से निकली थी। यह यात्रा 27 अप्रैल को शुरू हुई और 1 मई को बाबा की डोली केदारनाथ पहुंची. इस पूरी यात्रा में डोली गुप्तकाशी, फाटा और गौरीकुंड होते हुए धाम तक पहुंची.
विधिपूर्वक खुले कपाट: कपाट खोलने की विधि शास्त्रों और परंपराओं के अनुसार होती है. मंदिर प्रांगण में ढोल-नगाड़ों की गूंज के बीच भक्त ‘जय बाबा केदार’ के जयकारे लगाते हैं. इसके बाद विधिवत पूजन कर भक्तों को दर्शन की अनुमति दी जाती है. आज भी उसी परंपरा के साथ विधिगत केदारनाथ के कपाट खोले गए.
केदारनाथ के कपाट खुलने के बाद भक्त अगले छह महीने तक भोलेनाथ के दर्शन कर पाएंगे. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल अगर जून से अगस्त के बीच मौसम ठीक रहा तो 25 लाख से ज्यादा श्रद्धालु केदारनाथ धाम पहुंचेंगे.
4 मई को खुलेंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट: 30 अप्रैल (अक्षय तृतीया) से चारधाम यात्रा शुरू हो चुकी है. गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट पहले से ही खुल गए हैं, अब केदारनाथ धाम के बाद 4 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खोल दिए जाएंगे.
सुरक्षा के पूरे इंतजाम: केदारनाथ धाम में इस बार व्यवस्थाएं चाक-चौबंद हैं. जैसे ही कपाट खुलने की घड़ी आई, जिला प्रशासन ने पूरी घाटी को चौकस कर दिया था. पुलिस वाले हर मोड़ पर तैनात थे, मेडिकल टीम अलर्ट थी, चढ़ाई पर रिलीफ टीम और सफाई ऐसी कि रास्ता चमक रहा हो. जगह-जगह पर बैठने की व्यवस्था की गई है और कूड़े का नामोनिशान नहीं है. उत्तराखंड सरकार और लोकल टीम ने इस बार श्रद्धालुओं के लिए मंदिर परिसर और पैदल रास्तों की अच्छे से साज-सज्जा की है.