वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है. इस दिन सूर्य और चन्द्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि में स्थित होते हैं, अतः दोनों की सम्मिलित कृपा का फल अक्षय हो जाता है. अक्षय का अर्थ होता है जिसका क्षय न हो. माना जाता है कि इस तिथि को किए गए कार्यों के परिणाम का क्षय नहीं होता. इसी दिन भगवान परशुराम , नर-नारायण और हयग्रीव का अवतार हुआ था. इसी दिन से बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं और केवल इसी दिन वृंदावन में भगवान बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन भी होते हैं.
अक्षय तृतीया पर मूल्यवान वस्तुओं की खरीदारी की जाती है और तमाम चीजों का दान किया जाता है. इस दिन धन की प्राप्ति और दान का पुण्य अक्षय बना रहता है. यह दिन साल का स्वयंसिद्ध मुहूर्त है और इस दिन बिना किसी शुभ मुहूर्त के कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है. इस वर्ष अक्षय तृतीया 30 अप्रैल यानी आज मनाई जाएगी.
अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल शाम 5 बजकर 31 मिनट शुरू हो चुकी है और तिथि का समापन 30 अप्रैल कल दोपहर 2 बजकर 12 मिनट होगा. उदयातिथि के अनुसार, अक्षय तृतीया 30 अप्रैल, आज बुधवार को ही मनाई जाएगी. पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. इस दिन सोना खरीदना विशेष रूप से शुभ माना जाता है.
अक्षय तृतीया खरीदारी का मुहूर्त
30 अप्रैल यानी आज सुबह 5 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 12 मिनट तक सोना खरीदना सबसे अच्छा माना जा रहा है. यदि आप सोना खरीदने में असमर्थ हैं तो इन वस्तुओं को खरीद सकते हैं जो भी शुभ मानी जाती हैं. इसमें मिट्टी और पीतल के बर्तन, साथ ही पीली सरसों खरीदना भी बहुत शुभ है.
अक्षय तृतीया पर मांगलिक कार्य करने का मुहूर्त
अक्षय तृतीया पर किसी तरह का मांगलिक कार्य करना है या कोई शुभ कार्य संपन्न करना है तो सुबह के 9.00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक कर सकते हैं. इस दौरान अति शुभ मुहूर्त है. गृह प्रवेश, नया व्यवसाय शुरू करने से लेकर अन्य मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं.
अक्षय तृतीया की पूजा विधि
-अक्षय तृतीया पर सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें. हो सके तो पवित्र नदी में स्नान करें.
-स्नानकर पीले वस्त्र धारण करें, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का प्रिय रंग पीला है.
-घर के मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करें और एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछा दें और उस पर मां लक्ष्मी और विष्णुजी की प्रतिमा स्थापित करें.
-हाथ में जल ले, साथ में अक्षत और फूल लें और पूजा व व्रत का संकल्प करें.
-अब लक्ष्मी और भगवान विष्णु को रोली, चंदन, हल्दी और कुमकुम अर्पित करें.
-विष्णु जी के पीले फूल और मां लक्ष्मी को कमल या गुलाब के फूल अर्पित करें.
-पूजा स्थल पर धूप और घी का दीया जलाएं.
-विष्णुजी को जौ या गेहूं का सत्तू, मौसमी फल, मिठाई और भीगे चने भोग में दें.
-मां लक्ष्मी को खीर या कोई सफेद मिठाई अर्पित करें.
-इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें. अक्षय तृतीया की व्रत कथा सुनें, सुनाएं.
-अब भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती उतारकर पूजा संपन्न करें.
-इसके बाद भगवान विष्णु को तुलसी जल चढ़ाएँ और वस्त्र, जल, अन्न, फल, सोना या चांदी का दान जरूरतमंदों में जान करें. इससे अक्षय फल की प्राप्ति होगी.
अक्षय तृतीया पर क्या करना विशेष शुभ होता है ?
इस दिन ऐसे कार्य करें, जिससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति हो. इस दिन पूजा उपासना ध्यान जरूर करें. अपने व्यवहार को मधुर बनाये रखें. संभव हो तो किसी व्यक्ति की सहायता करें. इस दिन कुछ न कुछ दान जरूर करें. लोगों को जल पिलाएं या पौधों में जल डालें. इस दिन सोना या कीमती वस्तु खरीदना भी शुभ माना जाता है.
अक्षय तृतीया पर सोने की खरीदारी कैसे करें ?
सोने की खरीदारी का सबसे उपयुक्त समय दोपहर का होता है. अगर सोना न खरीद सकें तो सोने के आवरण वाली चीजें खरीदें. साथ ही कोई न कोई धातु दान के लिए जरूर खरीदें. पहले किसी निर्धन व्यक्ति को दान करें. फिर स्वयं का सोना पहले भगवान को अर्पित करें और तब जाकर सोने का प्रयोग करना आरंभ करें.