सनातन धर्म में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है. साथ ही प्रदोष व्रत रखने और इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करने के महत्व का वर्णन तो शिव पुराण में भी है. प्रदोष व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. वैशाख महीने का पहला प्रदोष व्रत अप्रैल के आखिरी सप्ताह में पड़ रहा है. मनोकामना पूर्ति के लिए इस दिन शिवलिंग पर कुछ चीजें जरूर अर्पित करें.
प्रदोष व्रत तिथि: वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की 25 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से प्रारंभ होगी और 26 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी. लिहाजा प्रदोष व्रत 25 अप्रैल को रखा जाएगा क्योंकि प्रदोष व्रत की पूजा शाम को प्रदोष काल में करने का महत्व है. वैशाख महीने के पहले प्रदोष व्रत पर महादेव की पूजा करने का समय शाम 06 बजकर 33 मिनट से 09 बजकर 03 मिनट तक है.
प्रदोष व्रत की पूजा विधि: प्रदोष व्रत को विधि-विधान से करना बेहद जरूरी है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें. इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। शिवलिंग पर गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें, फिर बिल्व पत्र, फूल, चंदन, धूप, दीप, भोग, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची अर्पित करें. इसके बाद शिव मंत्रों का जाप करें और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें. दिनभर व्रत का पालन करने के बाद शाम को फिर से विधिवत पूजा करें. रात में जागरण और मंत्र जाप से भोलेनाथ को प्रसन्न करें. इस तरह पूजा करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है.
भगवान शिव के शक्तिशाली मंत्र:
प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव के मंत्रों का जाप विशेष फलदायी होता है। निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण करें:
शिव आरोग्य मंत्र:
माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा।
आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते।।
महामृत्युंजय मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
शिव गायत्री मंत्र:
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।
शिव स्तुति मंत्र:
द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य, दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि।
उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति, व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः।।
इन मंत्रों का जाप श्रद्धा और एकाग्रता के साथ करें, इससे भोलेनाथ की कृपा अवश्य प्राप्त होगी।
शिवलिंग पर अर्पित करें ये चीजें: प्रदोष व्रत की शुभ तिथि पर शिवलिंग की पूजा-अर्चना करें और इस दौरान शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद और बेलपत्र अर्पित करें. साथ ही ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. इस दौरान प्रभु से जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें. अपनी मनोकामना बताते हुए उसे पूरी करने की प्रार्थना करें. ऐसा करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा साधक पर बनी रहती है. कारोबार बढ़ता है, रुके हुए काम पूरे होते हैं.
भूलकर भी न चढ़ाएं ये चीजें: ध्यान रहे कि कभी भी शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते, हल्दी और सिंदूर अर्पित ना करें. ऐसा करना महादेव को नाराज कर देता है और जीवन संकट-मुसीबतों से घिर जाता है.
क्यों करें प्रदोष व्रत? प्रदोष व्रत न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का एक शक्तिशाली माध्यम भी है. यह व्रत आपको नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति दिलाता है और परिवार में सुख-शांति लाता है। अगर आप वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य की तलाश में हैं या जीवन के कष्टों से मुक्ति चाहते हैं, तो यह व्रत आपके लिए आदर्श है। 25 अप्रैल 2025 को इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करें और भोलेनाथ का आशीर्वाद पाएं.