वक़्फ़ पर सुप्रीम कोर्ट के केंद्र से तीखे सवाल, हिंदू ट्रस्ट में मुस्लिमों को मिलेगी एंट्री?

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि क्या अब मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी? मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि ‘वक्फ बाय यूजर’ को किस आधार पर अमान्य ठहराया जा सकता है, जबकि ऐसे कई वक्फ संपत्तियों के पास रजिस्ट्री जैसे दस्तावेज़ नहीं होते. अदालत ने कहा कि फिलहाल वह कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं कर रही है, लेकिन मामले की सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी.

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा कि ‘वक्फ बाय यूजर’  की व्यवस्था को समाप्त करना एक स्थापित व्यवस्था को पलटना होगा, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से तीन अहम सवाल पूछे.

1. क्या वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई किया जा सकता है? सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से ‘वक्फ बाय यूजर’ की संपत्तियों को लेकर तीखे सवाल किए. कोर्ट ने पूछा कि आप ‘वक्फ बाय यूजर’ संपत्तियों को कैसे पंजीकृत करेंगे? उनके पास कौन से दस्तावेज़ होंगे? CJI ने स्पष्ट कहा कि अगर इन संपत्तियों को डिनोटिफाई किया गया, तो यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है. हां, कुछ दुरुपयोग की संभावना है, लेकिन कई मामले वास्तविक भी हैं. सुनवाई के दौरान CJI ने सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता से पूछा कि आप अब भी मेरे सवाल का जवाब नहीं दे रहे हैं, क्या ‘वक्फ बाय यूजर’ को मान्यता दी जाएगी या नहीं? SG मेहता ने जवाब दिया कि अगर संपत्ति रजिस्टर्ड है, तो वक्फ मानी जाएगी. इस पर CJI ने तीखा रुख अपनाते हुए कहा कि ये तो पहले से स्थापित व्यवस्था को पलटना होगा. उन्होंने आगे कहा कि मैंने प्रिवी काउंसिल से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के कई फैसले पढ़े हैं, जिनमें वक्फ बाय यूजर को मान्यता दी गई है. आप ये नहीं कह सकते कि सभी ऐसी संपत्तियां फर्जी हैं.

2. कलेक्टर की जांच के दौरान वक्फ की मान्यता पर रोक उचित है? कोर्ट ने कहा कि अधिनियम में जो यह शर्त दी गई है कि कलेक्टर की जांच पूरी होने तक संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा, उसे प्रभाव में नहीं लाया जा सकता. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोई वक्फ की संपत्ति है- जैसे कोई दुकान या मंदिर तो इसका उपयोग बंद नहीं होगा. बस इसे वक्फ के लाभ नहीं मिलेंगे, जब तक निर्णय न हो जाए. CJI ने सवाल किया कि अगर उपयोग नहीं रुकेगा, तो फिर किराया कहां जाएगा? फिर इस तरह की धारा रखने का क्या मतलब?

3. क्या वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल किया जा सकता है? कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद के सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए, सिवाय उन अधिकारियों के जो पद के अनुसार (ex-officio) सदस्य हैं?सरकारी पक्ष का जवाब कल आएगा सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इन तीनों बिंदुओं पर दलील देने के लिए समय मांगा है, अब गुरुवार को सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट इन बिंदुओं पर अंतरिम आदेश जारी कर सकता है.

देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली तीन जजों की खंड पीठ ने आज (बुधवार, 16 अप्रैल को) वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 70 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी और सी यू सिंह समेत अन्य कई पेश हुए, जबकि केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पैरवी की.

याचिका में तर्क दिये गये हैं कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों का सरासर उल्लंघन करता है. मुस्लिम पक्ष ने आज अदालत से इस मामले में अंतरिम राहत की मांग की लेकिन केंद्र ने उस पर कोई फैसला देने से पहले सुनवाई की मांग की। लिहाजा, कोर्ट ने कोई आदेश जारी नहीं किया. हालांकि, कोर्ट अंतरिम आदेश जारी करना चाहता था लेकिन SG की आपत्ति के बाद उसे टाल दिया गया. अब कल दोपहर दो बजे फिर सुनवाई होगी और संभवत: कोई अंतरिम आदेश जारी हो सकता है. कोर्ट ने वक्फ एक्ट के खिलाफ हो रही हिंसा पर चिंता जताई और कहा कि हिंसा नहीं होनी चाहिए.

करीब दो घंटे हुई गरमागरम बहस करीब दो घंटे तक चली गरमागरम सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं और सॉलिसिटर जनरल दोनों से कई सवाल पूछे. मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र सरकार की पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, “आप बाय यूजर वक्फ को कैसे रजिस्टर करेंगे जो लंबे समय से वहां हैं? उनके पास क्या दस्तावेज होंगे? इससे तो कुछ गलत हो सकता है। कुछ दुरुपयोग भी हुआ है। अगर आप इसे रद्द करते हैं, तो यह एक समस्या होगी.”

CJI ने पूछा, “जब किसी 100 या 200 साल पुराने सार्वजनिक ट्रस्ट को वक्फ घोषित किया जाता है तो आप आप कहते हैं कि इसे वक्फ बोर्ड द्वारा अधिग्रहित किया जा रहा है और आप इसे अनुचित करार देते हैं.” इस पर सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा, यह सही नहीं है. इसका मतलब यह है कि अगर आपके पास वक्फ है तो आप इसके बजाय ट्रस्ट बना सकते हैं. यह एक सक्षम प्रावधान है।” इस पर सीजेआई ने कहा, “आप अतीत को फिर से नहीं लिख सकते.”

‘तो ये पीठ भी इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकती’ CJI और SG के बीच एक और गरमाहरम बहस तब हुई जब मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “तो, ऐक्ट के अनुसार, वक्फ बोर्ड में आठ सदस्य मुस्लिम हैं. दो पदेन सदस्य गैर मुस्लिम हो सकते हैं. फिर बाकी भी क्या गैर-मुस्लिम हो सकते हैं.” इस पर सॉलिसिटर जनरल मेहता ने टिप्पणी की, “तो यह पीठ भी इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकती.” इस पर सीजेआई खन्ना ने पलटवार किया, “क्या? जब हम यहां बैठते हैं, तो हम अपना धर्म खो देते हैं. हमारे लिए, दोनों पक्ष एक जैसे हैं। आप इसकी तुलना न्यायाधीशों से कैसे कर सकते हैं?”

हिंदू बंदोबस्ती के सलाहकार बोर्ड में मुस्लिम क्यों नहीं? जस्टिस खन्ना ने पूछा, “फिर हिंदू बंदोबस्ती के सलाहकार बोर्ड में मुस्लिम क्यों नहीं हैं? क्या आप यह कह रहे हैं कि अब से आप मुस्लिमों को हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड का हिस्सा बनने की अनुमति देंगे। खुलकर कहिए.” इस पर सॉलिसिटर जनरल मेहता ने अदालत को बताया कि आप एक ऐसे कानून से निपट रहे हैं, जिसे लागू करने से पहले उस एक संयुक्त संसदीय समिति बनाई गई थी. उनकी 38 बैठकें हुईं। इसने कई क्षेत्रों का दौरा किया. 98 लाख से अधिक ज्ञापनों की जांच की। इसके बाद यह संसद के दोनों सदनों में गया और फिर कानून पारित हुआ.

मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा, “हमें बताया गया है कि दिल्ली उच्च न्यायालय वक्फ भूमि पर बना है… हम यह नहीं कह रहे हैं कि सभी वक्फ का उपयोग गलत है, लेकिन यह एक वास्तविक चिंता है.”

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