चैत्र नवरात्र की रामनवमी आज 6 अप्रैल को है. रामनवमी के साथ ही चैत्र नवरात्र का समापन हो जाएगा. इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा के बाद 9 कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है. फिर उन्हें हलवा-पूरी और चने के प्रसाद का भोग लगाया जाता है. कन्या पूजन में कन्याओं के साथ बटुक भैरव का स्वरूप मानकर एक बालक भी बैठाया जाता है. इस बालक को बैठाए बिना कन्या पूजन अधूरा समझा जाता है. आइए जानते हैं कि इस बार रामनवमी पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि क्या है.
बना शुभ योग : इस साल राम नवमी पर रवि पुष्य योग सुबह 06:18 से लेकर 7 अप्रैल को सुबह 06:17 तक रहेगा और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:18 मिनट से आरंभ होगा, जो पूरे दिन रहेगा।
सर्वप्रथम मां सिद्धिदात्री की पूजा: रामनवमी पर सबसे पहले मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है. इस दिन शरीर और मन से शुद्ध रहते हुए मां के सामने बैठें. उनके सामने दीपक जलाएं और उन्हें नौ कमल के फूल अर्पित करें. मां सिद्धिदात्री को नौ तरह के खाद्य पदार्थ भी अर्पित करें. मां के मंत्र “ॐ ह्रीं दुर्गाय नमः” का यथाशक्ति जाप करें. अर्पित किए हुए कमल के फूल को लाल वस्त्र में लपेटकर रखें. देवी को अर्पित किए हुए खाद्य पदार्थों को निर्धनों में बांट दें. इसके बाद कन्या पूजन की प्रक्रिया शुरू करें.
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त क्या है? रामनवमी पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त रविवार, 6 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 59 से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहने वाला है. यानी कन्या पूजन के लिए आपको सिर्फ एक घंटे का समय मिलने वाला है.
कन्या पूजन विधि: कन्या पूजन के बिना नवरात्र अधूरे हैं. मान्यता हैं कि रामनवमी पर कन्या पूजन करने से मां की विशेष कृपा होती है और मां को प्रसन्न करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इस दिन छोटी-छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर उनकी उपासना की जाती है.
नवमी पर कन्या पूजन से एक दिन पहले ही कन्याओं का घर आने का निमंत्रण दे आएं. जब कन्याएं पूजन के दिन आएं तो पहले सम्मान के साथ घर में उनका स्वागत करें. उन पर फूलों की वर्षा करें. फिर उनके पैर धुलाएं. साफ आसन पर बैठाएं. उनकी आरती करें. चंदन का टीका लगाएं और हाथ में रक्षासूत्र बांधें.
इसके बाद उन्हें भोजन कराएं. ध्यान रखें उनके खाने में लहसून-प्याज न हो. खाने में खीर-पूरी, चने की सब्जी आदि खिलाएं. फिर भोजन होने के बाद उनके हाथ धुलाएं. उसके बाद दान दक्षिण और उपहार देकर उनके पैर छूकर प्रणाम करें. मां के जयकारे लगाकर उन्हें सम्मानपूवर्क विदा करें.
नवमी पर नौ ग्रहों की शांति के उपाय: नवमी पर मां सिद्धिदात्री के सामने घी का चौमुखी दीपक जलाएं. संभव हो तो मां को कमल का फूल अर्पित करें. कमल का फूल न मिल पाए तो कोई भी लाल फूल अर्पित करें. मां सिद्धिदात्री को क्रम से मिश्री, गुड़, हरी सौंफ, केला, दही, देसी घी और पान का पत्ता अर्पित करें. फिर देवी मां से सभी ग्रहों को शांत करने की प्रार्थना करें.
भय मुक्त करेंगी मां सिद्धिदात्री: नवमी के दिन एक पान के पते पर 9 साबुत फूलदार लौंग के साथ देसी कपूर रखे 9 लाल गुलाब के फूलों के साथ देवी को अर्पण करके अपने अज्ञात भय को खत्म करने की प्रार्थना क. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे मंत्र का 108 बार लाल आसन पर बैठकर जाप करें. जाप के बाद लौंग को सिर से उल्टा 7 बार वारकर देसी कपूर में जलाएं. अज्ञात भय दूर होगा और देवी सिद्धिदात्री की कृपा मिलेगी.