समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में अपने संगठन को मजबूत करने की तैयारी में है. नवरात्र के बाद कई जिला अध्यक्षों से फेरबदल किया जाएगा. इसके लिए जिलों के नेताओं का फीडबैक लिया जा रहा है. नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में जाति समीकरण और दावेदार की सक्रियता को ध्यान में रखा जाएगा.
2027 के विधानसभा चुनाव से पहले सपा संगठन को मजबूत करने के लिए फेरबदल करेगी. माना जा रहा है कि नवरात्र के बाद 20 से 25 जिला अध्यक्षों को बदला जा सकता है. श्यामलाल पाल के 2024 में प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद यह काम रुका हुआ था.
अभी सबसे ज्यादा ओबीसी उनमें आधे से ज्यादा यादव
मौजूदा जिला अध्यक्षों में सबसे ज्यादा ओबीसी है ओबीसी के कुल 54 जिला अध्यक्ष हैं इनमें 22 यादव है जो कुल ओबीसी के आधे से ज्यादा है. दलितों की संख्या मात्र चार है. अभी तक की नियुक्तियों में यादव जाति का प्रभाव रहा है लेकिन अब दलित और ओबीसी चेहरों को मौका देने की योजना बनाई जा रही है. वर्तमान अध्यक्ष श्याम लाल पाल भी ओबीसी समुदाय से हैं.
वर्तमान में सपा अपने PDA (पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक) फार्मूले पर जोर दे रही है. ऐसे में अगर पढ़ा फार्मूले पर जिला अध्यक्षों की नियुक्ति होती है तो यादव जाति की भागीदारी को कम किया जाएगा. उनके स्थान पर कुर्मी राजभर, निषाद, दलित समाज के साथ अन्य जाति के लोगों की जिम्मेदारी बढ़ सकती है वहीं कांग्रेस ने जिस तरह से मुस्लिम नेताओं को अपनी सूची में जगह दी उससे सपा पर भी जिलों में मुस्लिम समाज के लोगों की सम्मानजनक प्रतिनिधित्व का दबाव भी रहेगा.