बांग्लादेश में शेख हसीना का तख्तापलट होने के बाद अंतरिम सरकार ने व्यवस्था संभाल रखी है, जिसके मुखिया मोहम्मद यूनुस हैं. बीते साल अगस्त में शेख हसीना को देश छोड़कर निकलना पड़ा था, लेकिन तब से ही हिंसक घटनाएं जारी हैं. हिंदुओं समेत अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसक घटनाएं हो रही हैं तो वहीं कानून-व्यवस्था को लेकर कोई उत्तरदायी नहीं दिख रहा। हाल यह है कि उन छात्र संगठनों के बीच ही टकराव की स्थिति है, जिन्हें आह्वान पर सत्ता पलट हुआ था. ऐसी स्थिति में अब बांग्लादेश की आर्मी ने चेतावनी दी है कि यदि यही हाल रहा तो फिर हम सत्ता के सूत्र संभाल सकते हैं. बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां का कहना है कि जिस तरह की आंतरिक कलह और अव्यवस्था है, उस स्थिति में सेना को अपनी भूमिका बढ़ानी होगी.
जनरल वकार ने ढाका में आर्मी मेमोरियल इवेंट को संबोधित करते हुए कहा कि हमें सभी मतभेदों को भुलाना होगा. सभी गलत विचारों का त्यागकर राष्ट्रीय एकता के लिए काम करना होगा. यही नहीं उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ‘यदि आप अपने मतभेदों से आगे नहीं बढ़े और आपस में ही लड़े तो फिर देश की एकता और अखंडता पर ही खतरा होगा.’ उन्होंने कहा कि सभी जिम्मेदार लोग एक-दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं और इसका फायदा उठाकर अराजक तत्व हिंसक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब हमारा देश की आंतरिक व्यवस्था संभालने का कोई काम नहीं है, लेकिन हालात नहीं सुधरे तो फिर हमें वापस लौटना होगा.
उनका यह बयान उस वक्त आया है, जब सत्ता की साझेदार बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और जमात-ए-इस्लामी के बीच विवाद खड़ा हो गया है. दोनों तरफ से एक-दूसरे पर हमले किए जा रहे हैं। बांग्लादेश की सत्ता पर सेना के पूरी तरह से कब्जे की संभावना तो नहीं है, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जनरल जमां अहम रोल अदा कर सकते हैं. यदि ऐसा कुछ हुआ तो बांग्लादेश में फिर से गेम पलट सकता है.
शेख हसीना के करीबी और रिश्तेदार हैं वकार-उज-जमां: दरअसल वकार-उज-जमां को शेख हसीना का करीबी माना जाता है. वह उनके दूर के रिश्तेदार भी कहे जाते हैं. ऐसे में यदि उनकी सरकार में भूमिका बढ़ी या फिर उनका कंट्रोल बढ़ा तो स्थिति बदल भी सकती है. इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग का रोल भी बढ़ सकता है. ऐसा हुआ तो फिर तस्वीर बदलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.