बसंत पंचमी पर ही क्यों की जाती मां सरस्वती की पूजा? जानें इस दिन क्या करें, क्या ना करें !

सनातन धर्म में बसंत पंचमी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. यह पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है. यह वह दिन होता है, जबसे ऋतु अपना परिवर्तन करती है और सर्दी-गर्मी के बीच का सुहावना मौसम शुरू हो जाता है. इस ऋतु में खेत सरसों की पीली फसल से पट जाते हैं. इस दिन देशभर के स्कूल-कॉलेजों में ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. लोग पीले वस्त्र धारण कर मां सरस्वती को पीले या केसरिया रंग के फल-फूल, वस्त्र और भोग अर्पित करते हैं. इस बार बसंत पंचमी पर प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ का चौथा अमृत स्नान भी है. जिसमें करोड़ों लोग संगम में डुबकी लगाएंगे. आइए जानते हैं कि इस बार बसंत पंचमी का पर्व कब मनाया जाएगा.

बसंत पंचमी के दिन क्यों की जाती है सरस्वती पूजा?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ज्ञान और वाणी की देवी माता सरस्वती माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही ब्रह्मा जी के मुख से प्रकट हुई थीं. इसी वजह से बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा करने का विधान है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन माता सरस्वती की पूजा करने से वो जल्दी ही प्रसन्न हो जाती हैं. माता सरस्वती की कृपा से ही व्यक्ति को ज्ञान, बुद्धि, विवेक का सत विज्ञान, कला और संगीत में महारत हासिल करने का आशीष मिलता है.

कब मनाई जाएगी बसंत पंचमी 2025?

ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 2 फरवरी 2025 रविवार को पड़ रही है. लिहाजा उसी दिन बसंत पंचमी का त्योहार भी मनाया जाएगा. के दिन मनाया जाएगा. कहते हैं कि बसंत पंचमी के दिन ही ज्ञान की देवी मां सरस्वती प्रकट हुई थीं. मां सरस्वती को कला, बुद्धि और संगीत की देवी कहा जाता है. उनके एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर देने की मुद्रा में है. मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की आराधना करने से परिवार को उनका आशीर्वाद मिलता है और जातक में ज्ञान-बुद्धि का भंडार मजबूत होता है.

बसंत पंचमी के दिन क्या करें?

बसंत पंचमी वाले दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर उगते सूर्य को अर्घ्य प्रदान करें. अर्घ्य के पश्चात पीले वस्त्र धारण करें और फिर विधि-विधान से मां सरस्वती का पूजन शुरू करें. इस पूजन में मां सरस्वती को पीले रंग के वस्त्र, भोग और पुष्प अर्पित करें. मां सरस्वती को पीला रंग बहुत प्रिय है. इसलिए उन्हें भोग में पीले मीठे चावल जरूर चढ़ाएं. आप चाहें तो इसकी जगह केसर युक्त खीर भी बना सकते हैं. इसके साथ ही उन्हें हल्दी की गांठ भी चढ़ाएं. बसंत पंचमी वाले दिन अपने बही खाते, पेन-पेपर और दूसरे रजिस्टरों की पूजा करें. ऐसा करने से दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की होती है.

बसंत पंचमी के दिन क्या न करें? 

बसंत पंचमी के दिन पेड़-पौधों को भूलकर भी न काटें. असल में इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है, जो प्रकृति के लिए समर्पित है. ऐसे में अगर आप उस दिन पेड़-पौधे काटेंगे तो यह प्रकृति का अपमान माना जाएगा. बसंत पंचमी वाले दिन गलती से भी मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से अशुभ परिणाम भुगतने पड़ते हैं. इसके बजाय उस दिन व्रत करें या फिर शुद्ध-सात्विक भोजन ग्रहण करें. इस दिन अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें और किसी के प्रति भी कठोर वचन बोलने से बचें.

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